6. अरुण कमल और समीर ताँती की कविताओं में बिम्ब-विधान ✍ रूबी मणि दास

शोधसार :

बिम्ब-विधान साहित्य में काव्य की एक विशेष शैली है । काव्य में विषय-वस्तु के मूर्तीकरण के लिए बिम्ब का प्रयोग किया जाता है । काव्य में वर्ण-विषय को स्पष्ट करना, कवि की अनुभूति को प्रकट करना तथा कवि की अनुभूति को पाठक एवं श्रोता के मन में स्पष्ट करना आदि कार्य बिम्ब के प्रयोग पर निर्भर करता है । बिम्ब के द्वारा वर्ण-विषय को अत्यंत सरलता और संक्षिप्तता के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है; जिससे कविता अनावश्यक वर्ण्नात्मकता से बचती है । अरुण कमल और समीर ताँती क्रमश: हिंदी और असमीया काव्य जगत के प्रमुख स्तंभ हैं । दोनों कवियों की काव्य-रचना के कौशल में बिम्ब एक विशेषता के रूप में उभरकर सामने आया है । बिम्बों के सटीक प्रयोग से दोनों कवियों की रचनाएँ अधिक मनोरम बन पड़ी हैं ।

बीज शब्द– बिम्ब, काव्य

पूरा आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिये गये ‘Read Full Issue’ में जाएँ।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *