7. भारतीय सौन्दर्यशास्त्र: एक विमर्श ✍ डॉ. किरण हजारिका

शोध सार :

सौंदर्यशास्त्र पाश्चात्य जगत का शब्द है । भारत में काव्य और कला को भिन्न माना गया है । परंतु पश्चिम में काव्य को कला के अंतर्गत ही माना जाता है । भारत में रसानुभूति ही सौंदर्य है । भारत में माना जाता है कि सौंदर्य तभी पूर्ण होता है, जब बाह्य सौंदर्य के साथ आंतरिक सौंदर्य भी मिल जाता है । भारतीय काव्यशास्त्र का रसानुभूति ब्रह्मानुभूति का सहोदर है । मनुष्य का आंतरिक सत्य ही सौंदर्य में बदल जाता है । भारत में सत्य, शिव और सौंदर्य अविभाज्य हैं ।

बीज-शब्द : सौंदर्यशास्त्र, रसानुभूति, पाश्चात्य जगत, आंतरिक सौंदर्य

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