
विश्व में हिन्दी
भारतवर्ष की सर्वाधिक प्रचलित भाषा हिन्दी है। हिन्दी सैकड़ों भाषाओं और बोलियों के समन्वय की भूमि भारतवर्ष के कई राज्यों की मातृभाषा भी है। साथ ही संवैधानिक रूप से देश की राजभाषा हिन्दी है और व्यावहारिक रूप से देश की राष्ट्रभाषा भी हिन्दी ही है। हिन्दी इस देश के कोने-कोने में फैली करोड़ों जनता को वाणी प्रदान करती है। प्राचीन गौरवशाली इतिहास से समृद्ध और अनेक बोलियों से सम्पन्न हिन्दी भाषा अपनी उदार नीति के कारण भारतवर्ष की सर्वकाल की सर्वाधिक ग्रहणीय भाषा के रूप में चिह्नित हुई है। अब हिन्दी ने भारतभूमि की सीमा का अतिक्रमण कर विदेशों तक सफलतापूर्वक अपना विस्तार कर लिया है।
आज विश्व के अनेक देशों में हिन्दी का प्रयोग तेजी से हो रहा है, विश्व पटल पर हिन्दी गर्व से खड़ी है।अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक,सामाजिक,सांस्कृतिक,आर्थिक,शैक्षिक आदि विनिमय के लिए हिन्दी का प्रयोग हो रहा है। हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में हमारे देश के नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने समय-समय पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिन्दी में भाषण देकर उसकी उपादेयता सिद्ध की है। आज हिन्दी अनेक राष्ट्रों में व्याप्त हो रही है। भाषिक, शैक्षिक, व्यावसायिक ही नहीं मनोरंजन के कारण भी हिन्दी का विस्तार हो रहा है। विदेशों में हिन्दी के प्रयोग करने वालों के तीन वर्ग माने जा सकते हैं। पहला वर्ग भारतीय मूल से जाने वाले वे लोग हैं ,जिन्हें दो-तीन सौ वर्ष पूर्व बिहार,पूर्वी उत्तर प्रदेश आदि जगहों से गिरमिटिया खेतिहर मजदूर के रूप में मॉरीशस ,त्रिनिदाद,सूरीनाम, फीजी, गुयाना आदि देशों में ले जाया गया था और वे वहीं बस गए । अपनी संस्कृति एवं अस्मिता की रक्षा के लिए इस वर्ग के लोग हिन्दी से जुड़े रहे। दूसरा वर्ग आजीविका की खोज में इंग्लैंड,अमेरिका,दक्षिण अफ्रीका,कनाडा, मलेशिया, सिंगापुर आदि देशों में बसने वालों का है। इस वर्ग के लोग प्रवासी भारतीय कहलाते हैं। तीसरा वर्ग अन्य देशों में बसनेवाले लोगों का है,जो धार्मिक क्रिया-कलापों,रीति-रिवाजों को बनाए रखने के लिए हिन्दी का उपयोग करता है। अर्जेन्टीना, बहरीन, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, म्यांमार, कोलंबिया, कोस्टारिका, इक्केडर, अलसाल्वडोर, फीजी, ग्वाटेमाला, गुयाना, होंडूरास, इंडोनेशिया, कुवैत, मलेशिया, मॉरीशस, मेक्सिको, मोज़ाम्बिक, नेपाल, निकारागुआ, ओमान, पाकिस्तान, पनामा, पराग्वे,पे डिग्री, कतर, सऊदी अरब, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका, सूरीनाम थायलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, वेनेजुएला, दक्षिण यमन, संयुक्त राज्य अमेरिका,ज़ाम्बिया,त्रिनिनाद, ब्रिटेन, कनाडा, रूस आदि विदेशी राष्ट्रों में हिन्दी जननेवालों की एक अच्छी-ख़ासी आबादी है।
भारत के पड़ोसी देशों-चीन,पाकिस्तान,बांग्लादेश,श्रीलंका आदि के साथ आज विश्व भर के लगभग 50 देशों में हिन्दी शिक्षण की व्यवस्था है। विश्व के प्रायः सभी महत्वपूर्ण देशों में विश्वविद्यालय स्तर पर हिन्दी अध्ययन-अध्यापन की व्यवस्था है। अमेरिका में ही डेढ़ सौ से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिन्दी का पठन-पाठन होता है। हिन्दी को वैश्विक संदर्भ और व्याप्ति प्रदान करने में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्वारा विदेशी राष्ट्रों में स्थापित हिन्दी विद्यापीठों की केंद्रीय भूमिका रही है। इन विश्वविद्यालयों में शोध स्तर पर हिन्दी अध्ययन-अध्यापन की सुविधा है। पोलैंड, हंगरी, बुल्गारिया, दक्षिण कोरिया, रोमानिया, टर्की, बेल्जियम, चीन, स्पेन, मास्को, त्रिनीदाद, सूरीनाम आदि ऐसे राष्ट्र हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया,मॉरीशस,चीन,जापान,कोरिया,मध्य एशिया,खाड़ी देश,अफ्रीका, यूरोप, कनाडा तथा अमरीका आदि देशों में उपग्रह चेनेलों के जरिये हिन्दी कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं और भारी तादाद में उन्हें दर्शक मिल रहे हैं।
इसमें संदेह नहीं कि विश्व भाषा के रूप में हिन्दी निरंतर अग्रसर है। विदेशों में हिन्दी का विकास देखकर कोई भी स्वाभिमानी भारतीय गर्व का अनुभव करेगा। हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय स्वरूप को मजबूती प्रदान करने के लिए विश्व हिन्दी सम्मेलन मनाया जाता है। पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन सन् 1975 में भारत के नागपुर में 10 से 12 जनवरी तक मनाया गया था। विश्व हिन्दी का द्वितीय सम्मेलन पोर्ट लुई, मॉरीशस (28-30अगस्त,1976)में, तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन नई दिल्ली, भारत (28-30अक्टूबर,1983)में, चतुर्थ विश्व हिन्दी सम्मेलन पोर्ट लुई,मॉरीशस(2-4दिसंबर,1993)में, पंचम विश्व सम्मेलनपोर्ट ऑफ स्पेन, ट्रिनिडाड एण्ड टोबेगो (4-8 अप्रैल,1996)में, षष्ठ विश्व हिन्दी सम्मेलन लंदन,यू. के. (14-18सितंबर,1999)में, सप्तम विश्व हिन्दी सम्मेलन पारामारिबो, सूरीनाम(6-9जून,2003)में,अष्टम विश्व हिन्दी सम्मेलन न्यूयॉर्क शहर,संयुक्त राज्य अमरीका(13-15जुलाई,2007)में,नवम विश्व हिंदी सम्मेलन जोहान्सबर्ग,दक्षिण अफ्रीका(22-24सितंबर,2012)में, दशम विश्व हिंदी सम्मेलन भोपाल, भारत(10-12सितंबर,2015)में, एकादश विश्व हिंदी सम्मेलनपोर्ट लुई,मॉरीशस(18-20 अगस्त,2018) में मनाया गया। विश्व हिन्दी सम्मेलन हिंदी भाषा का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसमें दुनियाभर के हिंदी प्रेमी, शोधार्थी, साहित्यकार, भाषा विज्ञानिक, विषय विशेषज्ञ,पत्रकार सहित हिन्दी के क्षेत्र से जुड़े तमाम लोग इस आयोजन में शामिल होते हैं।
द्वादश विश्व हिंदी सम्मेलन फिजी में आगामी 15-17 फरवरी, 2023 को सम्पन्न होने जा रहा। पर दुनिया के कई देशों में फिर से शुरू हो रहे कोरोना का बढ़ता संक्रमण इस सम्मेलन के लिए चुनौती बनकर मानो खड़ा होना चाह रहा है। भारत कोरोना के नियंत्रण के लिए जो व्यवस्था कर चुका है, उससे इस बार कोरोना के लिए भारत को जीत पाना असंभव है, ऐसा विश्वास हर भारतीय को हो रहा है। इसी के साथ आशा है कि समय पर सफलतापूर्वक फिजी में द्वादश विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन होगा। हिन्दी के बढ़ते कदम का सहयोग करते हुए ‘शोध-चिंतन पत्रिका’ का पंचम अंक आप सबके सामने प्रस्तुत है। दस शोधालेखों के इस अंक को पाठकों द्वारा सादर ग्रहण करने से हमारा प्रयास सार्थक होगा।
डॉ॰ रीतामणि वैश्य
संपादक
शोध-चिंतन पत्रिका