9. चंद्रकांता की कहानियों में कश्मीरी जीवन का यथार्थ ✍ संगीता

कश्मीर ही नहीं, देश- दुनिया की हर उस मानवीय त्रासदी को चंद्रकांता अपनी कहानियों में जगह देती है, जिसमें एक संवेदनशील रचनाकार का मन आहत और उद्वेलित होता है। वे उस भ्रष्ट व्यवस्था और मनुष्य विरोधी तंत्र को कटघरे में खड़ा करतीं हैं ,जिसने तेजी से बदलते समाज में चारों तरफ के संघर्ष से घिरे मनुष्य की आंतरिक अनुभूतियों को कहीं गहरे दफन कर दिया है। व्यक्ति और व्यवस्था की मुठभेड़ में वे पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रत्येक विषम परिस्थिति एवं प्रवृत्ति की समीक्षा करती है, तत्पश्चात उन तथ्यों का अन्वेषण करती है, जिससे मनुष्य की अंतर आत्मा को मरने से बचाया जा सके और इस प्रकार एक बेहतर कल के लिए मनुष्यों के स्वप्नों, संवेदनाओं और स्मृतियों को सिरज लेने की चिंता चंन्द्रकांता की कहानियों का प्रस्थान बिंदु बन जाती है।

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *