3. मिचिङ जनजाति के लोकगीतों में जनजीवन की अभिव्यक्ति ✍ डॉ. अभिजित पायेंङ

मिचिङ जनजाति असम की कई जनजातियों में से एक है। यह मंगोलीय जाति-समूह के तिब्बत-वर्मी शाखा की उत्तरी असम उप-शाखा के अंतर्गत आनेवाली जनजाति है। स्वकीय रूप से इस जनजाति के लोग  सृष्टिकर्ता चे:दृमे:ल्अ  के द्वारा सृष्ट द:न्यी-प:ल्अ (सूरज-चन्द्रमा) की संतान आबुतानी के वंशज माने जाते हैं। कहावत के अनुसार आबुतानी उनके प्रथम मानव पितृ पुरुष हैं। इस जनजाति के लोकगीत स्वकीय परंपरागत बातों से भरपूर हैं। इन गीतों में मिचिङ जनजीवन के सुख-दुःख, प्रेम-प्रीति, आनंद-विषाद, आशा-आकांक्षा, भाव-कल्पना, आवेग-अनुभूति आदि की अभिव्यक्ति मिली है। इसीलिए मिचिङ लोकगीतों को जनजीवन की अभिव्यक्ति की आख्या दी गई है। भाषाविदों ने मिचिङ लोकगीतों को विषयवस्तु और लक्षण के आधार पर आःबाङ, काबान, बृःरीग, लुप, मिदाङ्, अइ-निःतम, ममान और कःनिःनाम आदि प्रकारों में विभाजित किया है।

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