1. मनोविज्ञान एवं जैनेन्द्र कुमार और भबेंद्र नाथ शइकीया की कहानियाँ *जयश्री काकति

साहित्य की विधाओं में कहानी एक अन्यतम विधा है। साहित्य समाज का दर्पण है। बदलते समाज के साथ साहित्य की विषयवस्तु में भी बदलाव आता है। उसी के साथ साहित्य लेखन की शैली में भी परिवर्तन होता  है। समाज के परिवर्तन के साथ-साथ मानव जीवन में जो परिवर्तन होता है, वही साहित्य की विषयवस्तु होने लगता है। कहानीकार समाज तथा मानव जीवन की हरेक वस्तु पर नजर रखते हुए उसे कहानी का रूप देते हैं। कहानीकार मानव जीवन के सुख-दुख, हर्ष-आनन्द सभी छोटी-बड़ी घटनाओं को आत्मसात करके कहानी की रचना करते हैं। फलस्वरूप कहानी में मानव जीवन और मानव मन के विविध पक्ष प्रतिफलित होते हैं।

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