7. भारतीय परिवार व्यवस्था में स्त्री की भूमिका: ‘पारिजात’ उपन्यास के विशेष संदर्भ में *तृप्ति रानी आचार्य

कहते हैं कि जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवता रमण करते हैं।भारतीय समाज में नारियों के बिना किसी भी धार्मिक या सामाजिक कार्य का सफल निष्पादन नहीं होता है।भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान हमेशा से गौरवपूर्ण रहा है।नारी सृष्टि की एक अनुपम रचना है, जिसके बिना यह पूरा संसार सारहीन है।एक ही समय में एक स्त्री, माँ, बहन, पत्नी, दोस्त जैसे कई अहम भूमिकाएँ निभाने की शक्ति रखती है।वह स्त्री ही है, जो एक परिवार को सम्भालती है।परिस्थिति चाहे कैसी भी हो, भारतीय नारी अपने पति का साथ नहीं छोड़ती, वह अपनी विवेक-बुद्धि तथा अतुलनीय सहनशक्ति के बल पर अपने परिवार को सुचारु रूप से चलाती है।

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