5. असमीया लोकोक्तियों के परिप्रेक्ष्य में फकरा-योजना *उदिप्त तालुकदार

विश्व-साहित्य में मौखिक साहित्य की परंपरा लिखित साहित्य से प्राचीन है और लोकसाहित्य में लोकजीवन के भाव एवं विचारों की सशक्त अभिव्यंजना हुई है। लोकमानस से व्युत्पन्न ऐसे साहित्य को लोकसाहित्य की संज्ञा दी जाती है। भारत के उत्तर-पूर्व प्रांत में स्थित असम प्रदेश में भाषा-साहित्य-संस्कृति के स्तर पर विविधता की दृष्टि से लोकसाहित्य की एक समृद्ध परंपरा रही है। इस समृद्ध परंपरा में लोकोक्तियों की कोटि में आनेवाली एक विधा है फकरा-योजना

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One thought on “5. असमीया लोकोक्तियों के परिप्रेक्ष्य में फकरा-योजना *उदिप्त तालुकदार

  1. The article is very informative as well as unique in this sphere. As a layman I have easily understood the implications of the article.

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