8. अरूपा पटंगीया कलिता विरचित ‘मृगनाभि’ में चित्रित वैधव्य-विसंगति *पूर्णिमा देवी

पुराने समय से ही स्त्री को समाज में गौण स्थान दिया गया है।उसे हमेशा से प्रताड़ित किया गया है । वर्तमान समय में भी समाज में नारी से जुड़ी अनेक समस्याएँ परिलक्षित होती हैं। समय-समय पर साहित्य की भिन्न-भिन्न विधाओं के माध्यम से इन समस्याओं को उजागर किया गया है । स्त्री समस्याओं में से वैधव्य-समस्या प्रमुख है । समाज में स्त्री की स्थिति अच्छी नहीं है, विधवाओं की स्थिति अधिक दुःखद है । पितृसत्तात्मक भारतीय समाज की इस मानसिकता के खिलाफ साहित्य में बौद्धिक प्रज्ञा के धनी लोग आवाज बुलंद करने के लिए चिंतन-मनन कर रहे हैं । आधुनिक कालखंड में विविध सामाजिक आंदोलन, समाज सेवइयों एवं साहित्यकारों के प्रयासों के कारण विधवाओं की स्थिति में काफी परिवर्तन हो रहे हैं ।

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