मिचिङ जनजाति असम की कई जनजातियों में से एक है। यह मंगोलीय जाति-समूह के तिब्बत-वर्मी शाखा की उत्तरी असम उप-शाखा के अंतर्गत आनेवाली जनजाति है।

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कलाकार द्वारा किया गया सृजन उनके विचारों की स्वच्छंद अभिव्यंजना है। अंतर्मन से निःसृत ये विचार समाज-सापेक्ष हैं। युगचेता प्रत्येक कलाकार की सृष्टि में समाज

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भारतीय साहित्य का भंडार समृद्ध है और इस समृद्धि का कारण भारत की विविध भाषाओं का साहित्य है। संस्कृत साहित्य की नींव पर भारत की

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‘पिता-पुत्र’ उपन्यास होमेन बरगोहाञि की प्रौढ़तम कृति है। इसमें पीढ़ी-संघर्ष, आभिजात्य का टूटना या शक्ति-केंद्र के स्थानांतरण, भ्रष्टाचार, नशाखोरी सभी कुछ चित्रित हुआ है। ‘पिता-पुत्र’

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सत्ता की राजनीति जटिल है और इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि समाज का।  समाज में व्यवस्था कायम रखने के लिए हो या

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साहित्यकार के हृदयस्थल एवं मनोभाव के परिणाम स्वरूप साहित्य का सृजन हुआ है। साहित्यकार समाज की तमाम गतिविधियों को बड़ी सतर्कतापूर्वक सुनता है, देखता है,

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साहित्य की विधाओं में कहानी एक अन्यतम विधा है। साहित्य समाज का दर्पण है। बदलते समाज के साथ साहित्य की विषयवस्तु में भी बदलाव आता

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विश्व साहित्य में भारतीय साहित्य का अन्यतम स्थान है। भारतीय साहित्य का भंडार अनेक महान साहित्यकारों के योगदान के परिणामस्वरूप समृद्ध हुआ है। इन्हीं लब्धप्रतिष्ठित

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बिहुगीत असमीया लोकसाहित्य का प्रमुख अंग है। मुख्यतः रङाली बिहु के समय जो गीत गाये जाते हैं, वे ही बिहुगीत हैं। प्रेम संबंधी बिहुगीतों को

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