शोध-सार :           जनजातीय कला और संस्कृति आत्माभिव्यक्ति का परिचायक होती है। उनकी इस अभिव्यक्ति का सामाजिक महत्व होता है। उनके विचार स्व निर्मित होते

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शोध–सार :           हिंदी साहित्य में कबीरदास का प्रमुख स्थान है । वे एक ऐसे संत हैं, जिन्होंने भक्तिकालीन संत साहित्य को एक नया आयाम

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शोध-सार:             कालनिरपेक्ष पुरा-कथाएँ लगभग प्रत्येक समाज-जीवन की लोक परंपरा की अन्यतम नींव होती हैं। बदलते समय के साथ इन पुरा-कथाओं की प्रासंगिकता कभी कम

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शोध-सार :   अमृता प्रीतम और डॉ. मामणि रयछम गोस्वामी दोनों भारतीय साहित्य गगन के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। अमृता प्रीतम मूलत: पंजाबी साहित्यकार हैं। उन्होंने

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शोध-सार :             ‘धन्य नर तनु भाल’ असमीया साहित्य के उज्ज्वलतम नक्षत्र स्वरूप प्रसिद्ध साहित्यकार सैयद अब्दुल मालिक का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। वे केवल

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शोध-सार: काव्य-भाषा में शमशेर ने हिन्दी और उर्दू के बीच सेतु का काम किया। हिन्दी को उर्दू की मिठास, तराश और लोच देने का श्रेय

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शोध–सार :             प्रेमचंद ने जिस प्रकार अपने साहित्य में दलितों को स्थान देकर उनकी समस्याओं को उजागर किया है, उसी प्रकार अपनी पत्रकारिता में

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नागार्जुन और अमरसेकर क्रमः हिंदी और सिंहली के मूर्धण्य उपन्यासकार हैं। ब्राह्मण होते हुए भी नागार्जुन ने पारंपरिक रीति-रिवाजों की उपेक्षा कर अपने चिंतन से

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हिन्दी का साहित्य अति समृद्ध है और इस साहित्य ने देश के साथ-साथ विदेशों के सैकड़ों घटनाओं-प्रसंगों को अपने विषय के रूप में ग्रहण किया

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