सुमित्रानंदन पंत छायावादी काव्यधारा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। छायावादी काव्यधारा के चार प्रमुख स्तंभों में से वे अन्यतम हैं। छायावादी काव्य प्रेम और सौंदर्य का

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हिन्दी-भारती की अनन्य पुजारिन कवयित्री महादेवी वर्मा (ई॰ 1907—ई॰ 1987) छायावादी काव्यधारा के बृहच्चतुष्टयी में से अन्यतम हैं। अपनी अमर सर्जनाओं के माध्यम से उन्होंने

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मिचिङ जनजाति असम की कई जनजातियों में से एक है। यह मंगोलीय जाति-समूह के तिब्बत-वर्मी शाखा की उत्तरी असम उप-शाखा के अंतर्गत आनेवाली जनजाति है।

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कलाकार द्वारा किया गया सृजन उनके विचारों की स्वच्छंद अभिव्यंजना है। अंतर्मन से निःसृत ये विचार समाज-सापेक्ष हैं। युगचेता प्रत्येक कलाकार की सृष्टि में समाज

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भारतीय साहित्य का भंडार समृद्ध है और इस समृद्धि का कारण भारत की विविध भाषाओं का साहित्य है। संस्कृत साहित्य की नींव पर भारत की

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‘पिता-पुत्र’ उपन्यास होमेन बरगोहाञि की प्रौढ़तम कृति है। इसमें पीढ़ी-संघर्ष, आभिजात्य का टूटना या शक्ति-केंद्र के स्थानांतरण, भ्रष्टाचार, नशाखोरी सभी कुछ चित्रित हुआ है। ‘पिता-पुत्र’

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सत्ता की राजनीति जटिल है और इसका इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि समाज का।  समाज में व्यवस्था कायम रखने के लिए हो या

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साहित्यकार के हृदयस्थल एवं मनोभाव के परिणाम स्वरूप साहित्य का सृजन हुआ है। साहित्यकार समाज की तमाम गतिविधियों को बड़ी सतर्कतापूर्वक सुनता है, देखता है,

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