9. अज्ञेय की कहानियों में पूर्वोत्तर भारत ✍ पपी कलिता

शोध सार :

           अज्ञेय ने अपनी कविताओं की तरह ही अपनी कहानियों में भी नये-नये संदर्भ देने का कार्य किया था । इस दृष्टि से देखा जाए तो पूर्वोत्तर के संदर्भ भी हमारे सामने आते हैं । पूर्वोत्तर संदर्भ अर्थात पूर्वोत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी इनकी पाँच कहानियाँ मिलती हैं । वे कहानियाँ इस प्रकार हैं- ‘हीलीबोन की बत्तखें'(1947), ‘मेजर चौधरी की वापसी'(1947), ‘नगा पर्वत की एक घटना’(1950), ‘जयदोल'(1950) और ‘नीली हँसी’ (1954) ।‌‌ ‘हीलीबोन की बत्तखें‘ मेघालय के खासी समाज की सामाजिक स्थिति को दर्शाते हुए लिखी गयी एक कहानी है, जिसमें हीलीबोन के माध्यम से नारी की मानसिक स्थिति को उजागर किया गया है। ‘मेजर चौधरी की वापसी’ मणिपुर की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी कहानी है, जिसमें द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान पूर्वोत्तर भारत के जन-जीवन की स्थिति, सभ्यता-संस्कृति में युद्ध के कारण होने वाले परिवर्तनों का वर्णन हैं। ‘नगा पर्वत की एक घटना’ नागालैंड की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी कहानी है। सैनिक जीवन में अतिअनुशासन के फलस्वरुप होने वाले मोराल जजमेंटलेसनेस के साथ-साथ नागालैंड के अंगामी जनजाति के जीवन-शैली और सामाजिक स्थिति का वर्णन है। ‘जयदोल’ असम में प्रचलित एक महत्वपूर्ण जनश्रुति पर आधारित कहानी है, जिसमें राजकुंवरी जयमती के त्याग और बलिदान से पूर्ण एक प्रेम कथा का वर्णन है। ‘नीली हँसी’ भी असम की पृष्ठभूमि पर लिखी गयी एक प्रेम कहानी है ।

बीज शब्द : अज्ञेय, कहानियाँ, पूर्वोत्तर

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