11. शंकरदेव पर आधारित उपन्यास ‘धन्य नर तनु भाल’: एक अवलोकन ✍ यीशुरानी चाङमाइ

शोध-सार :

            ‘धन्य नर तनु भाल’ असमीया साहित्य के उज्ज्वलतम नक्षत्र स्वरूप प्रसिद्ध साहित्यकार सैयद अब्दुल मालिक का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। वे केवल उपन्यासकार ही नहीं अपितु कहानी, कविता, नाटक, निबंध, हास्य-व्यंग्य एवं भ्रमण कहानी आदि लेखन में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अपनी लेखनी के द्वारा भाषा, दर्शन और समसामयिक जीवन के प्रति उनकी दृष्टि पाठक वर्ग को प्रभावित किए बिना नहीं रहती। असमीया साहित्य जगत में शंकरदेव की जो विशिष्ट भूमिका रही है, वह कभी भी भुलायी नहीं जा सकती। शंकरदेव ने लगभग 80 से अधिक ग्रंथ लिखकर असम के जनमानस पर प्रभाव विस्तार किया था। उनकी प्रत्येक रचना व्यक्ति के अंत:स्थल तक प्रवाहित होती हुई मानस पटल पर भावों का उद्वेग करती है। आपकी लेखनी में कुछ ऐसी शक्ति एवं कुछ ऐसे तत्व निहित हैं, जिनसे पाठक वर्ग केवल आनंदित ही नहीं, अपितु भाव विभोर हो जाते हैं। पाठक अपने हृदय में गंभीर मानव प्रेम और नवीन चिंतन के हिलोरे उठते हैं। प्रायः 61 से भी अधिक उपन्यासों में मानव प्रेम का बीजवपन कर अपनी अलग पहचान बना ली है। विविधता की दृष्टि से उनके उपन्यास आपके प्रखर पांडित्य को दर्शाते हैं। उनका उपन्यास ‘धन्य नर तनु भाल’ एक जीवनीमूलक उपन्यास है, जिसका नायक हैं महापुरुष शंकरदेव। श्रीमंत शंकरदेव पर आधारित यह उपन्यास कई मायनों में विशेष है। इस उपन्यास में उनकी दार्शनिकता, आध्यात्मिकता व रहस्यात्मकता का सुंदर समन्वय हुआ है।

बीज शब्द: उपन्यास,धन्य नर तनु भाल, जीवन-दर्शन

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