10. ‘रसीदी टिकट’ और ‘आधा लेखा दस्ताबेज’ का तुलनात्मक अध्ययन ✍ हिरण वैश्य

शोध-सार :

  अमृता प्रीतम और डॉ. मामणि रयछम गोस्वामी दोनों भारतीय साहित्य गगन के उज्ज्वल नक्षत्र हैं। अमृता प्रीतम मूलत: पंजाबी साहित्यकार हैं। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, निबंध आत्मजीवनी आदि की देन से पंजाबी साहित्य को समृद्ध किया है। उनके प्राय: सभी साहित्य हिंदी में भी उपलब्ध हैं। वही डॉ. मामणि रयछम गोस्वामी को असमीया साहित्य में गद्यकार के रूप में पहचाना जाता है। यद्यपि उन्होंने कहानी के माध्यम से साहित्य सृष्टि में कदम रखा था; पर उपन्यासों ने उन्हें लोकप्रियता की पराकाष्ठा तक पहुँचा दिया। कहानी और उपन्यास के अलावा उन्होंने जीवनी,  आत्मजीवनी,  कविता,  निबंध आदि भी लिखे । साहित्य की विविध विधाओं में साहित्य सर्जना करने पर भी सभी साहित्यकार आत्मजीवनी नहीं लिखते; पर अमृता प्रीतम और मामणि रयछम गोस्वामी ने क्रमश: ‘रसीदी टिकट’ और ‘आधा लेखा दस्ताबेज’ शीर्षक से अपनी अपनी जीवनियाँ लिखीं। इन आत्मजीवनियों में दोनों साहित्यकारों के जीवन साकार हो उठे हैं।   

बीज शब्द : अमृता प्रीतम, मामणि रयछम गोस्वामी, आत्मजीवनी,संघर्ष,प्रेम,निराशा

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