12. कवि शमशेर की काव्य-भाषा ✍ आशीष जायसवाल

शोध-सार:

काव्य-भाषा में शमशेर ने हिन्दी और उर्दू के बीच सेतु का काम किया। हिन्दी को उर्दू की मिठास, तराश और लोच देने का श्रेय शमशेर को ही जाता है। यही काम प्रेमचन्द ने हिन्दी गद्य क्षेत्र में किया। उनकी काव्यभाषा मुख्यतः बिम्बात्मक है। भाषिक संवेदना के साथ बिम्बों-प्रतीकों का अद्भुत प्रयोग उनकी कविताओं को विशेष बनाता है। शमशेर के यहाँ वाक्य ही भाषा की इकाई है और उस में वह बोलचाल के मुहावरे और लय का प्रयोग करते हैं। आज के अधिकतर युवा कवियों ने शमशेर की भाषा-परम्परा को ही अपने लिए अनुकरणीय माना है। प्रस्तुत आलेख में उनकी काव्यभाषा को समझने एवं विवेचित करने का प्रयास किया गया है।

बीज-शब्द: प्रयोगवाद, बिम्ब, काव्य, काव्यभाषा, छायावाद, प्रतीक, चित्र, कविता

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