4. ‘करवट’ और ‘ढाई घर’ में चित्रित अंग्रेजकालीन भारत ✍ डॉ॰ संजीव मण्डल

शोध-सार :

‘करवट’ और ‘ढाई घर’ उपन्यास में जो कालखण्ड लिया गया है, वह भारत में अंग्रेजों के शासन का काल है । ‘करवट’ में युवा पीढ़ी की अंग्रेजी शिक्षा का महत्व समझ उसके प्रति आकर्षित होते जाने का वर्णन है । इस उपन्यास में अग्रेंजों के भारत में आने पर उनके साथ एक नयी चेतना का भारत में आगमन होता है । इससे भारतीय समाज व्यवस्था में परिवर्तन होने लगता है । पुरानी पीढ़ी और नयी पीढ़ी के बीच नयी विचारधारा को लेकर संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । भारत में ब्राह्म समाज के प्रभाव का भी बहुत विस्तार से वर्णन हुआ है । वही ‘ढाई घर’ उपन्यास में अंग्रेजकालीन भारत में नारी की पराधीनता का चित्रण किया गया है । साथ ही भारतीय जमींदारों के  अंग्रेजों की राजनीतिक गुलामी ही नहीं, मानसिक गुलामी करने का भी खुला चित्रण हुआ है । इस उपन्यास में बड़े राय भारत का भविष्य देख लेते हैं कि शिक्षित लोगों के पास ही सारी क्षमता केंद्रित हो जायेगी और परोपजीवी लोगों का जमाना खत्म हो जायेगा । प्रजा पर जमींदारों के अमानवीय अत्याचार को भी बिम्बित किया गया है ।

बीज शब्द : अंग्रेजी शिक्षा, नयी चेतना, ब्राह्म समाज, जमींदार, अत्याचार

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