7. जनजातीय कला एवं साहित्य ✍ डॉ. अमिता

शोध-सार :

          जनजातीय कला और संस्कृति आत्माभिव्यक्ति का परिचायक होती है। उनकी इस अभिव्यक्ति का सामाजिक महत्व होता है। उनके विचार स्व निर्मित होते हैं, उन पर किसी प्रकार का राजनीतिक प्रभाव नहीं होता। आदिम जनजातीय कलाएँ सहज एवं स्वाभाविक होती हैं। देश के भिन्न-भिन्न हिस्सों में विविध प्रकार की जनजातीय कलाएँ विद्यमान हैं जिन्हें जनजाति साहित्य के अंतर्गत समाहित किया गया है। प्रस्तुत लेख में जनजातीय साहित्य के विविध पहलुओं को रेखांकित करते हुए साहित्य में उनकी महत्ता को स्पष्ट किया गया है।

बीज शब्द:  जनजातीय दर्शन, प्रकृति निसर्ग, बिंब, प्रतीक

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