6. ‘मरूद्यान’ उपन्यास का संवेदना पक्ष : एक समीक्षात्मक अध्ययन ✍ संजीव मंडल

मरूद्यान डॉ. भूपेंद्रनारायण भट्टाचार्य द्वारा रचित चेतना प्रवाह शैली में लिखा गया एक विचारोत्तेजक असमीया उपन्यास है । इसमें उपन्यासकार ने नायक शीलादित्य के माध्यम से कदाचित अपने ही विचारों को पेश किया है जिसे एक आधुनिक युगीन मानस की उपज कह सकते हैं । पत्नी के स्वतंत्र अस्तित्व को मान्यता देने की चरम सीमा यह है कि वह पत्नी के उसके साथ बेवफाई करने को भी न्यायोचित मानता है क्योंकि पत्नी को अपने जीवन के सभी फैसले स्वतंत्र रूप से लेने का हक है । शीलादित्य की नौकरी जा चुकी है और वह अब केवल चित्रकारी करने के अलावा कुछ नहीं करता । उसका बच्चा मर चुका है और पत्नी दूसरे पुरुष के साथ जा चुकी है । इस उपन्यास में घरेलू हिंसा, व्यापारियों की मुनाफाखोरी, मूल्यवृद्धि, घूसखोरी, स्वार्थपूर्ण राजनीति आदि सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं का भी चित्रण किया गया है । इस उपन्यास में लेखक का कलाकार सुलभ मन मुखर हुआ है । यह उपन्यास हमें जीने की प्रेरणा भी देता है । इस उपन्यास के नायक का चरित्र हमें पहले-पहल चौंका भी सकता है । पर एक कलाकार के लिए ऐसी मानसिकता कोई अनोखी बात नहीं है । इस उपन्यास की पृष्ठभूमि कोलकाता शहर है । 

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