1. नागार्जुन तथा गुणदास अमरसेकर के उपन्यासों में प्रगतिशील चेतना : एक तुलनात्मक अध्ययन ✍ सुभाषिनी रत्नायक

नागार्जुन और अमरसेकर क्रमः हिंदी और सिंहली के मूर्धण्य उपन्यासकार हैं। ब्राह्मण होते हुए भी नागार्जुन ने पारंपरिक रीति-रिवाजों की उपेक्षा कर अपने चिंतन से जीवन को आगे बढ़ाया। नागार्जुन जनमुखी साहित्यकार हैं, समाजोन्मुखी साहित्यकार हैं। इसी तरह गुणदास अमरसेकर भी सिंहली साहित्य के सशक्त कथाकार हैं। आपेन पुराणे संस्कारों से बंधे समाज को मुक्त करने का प्रयास किया।

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