1. सुमित्रानंदन पंत की कविताओं में नारी-चित्रण ✍ पूजा बरुवा

सुमित्रानंदन पंत छायावादी काव्यधारा के प्रमुख हस्ताक्षर हैं। छायावादी काव्यधारा के चार प्रमुख स्तंभों में से वे अन्यतम हैं। छायावादी काव्य प्रेम और सौंदर्य का काव्य है। अतः नारी-चित्रण इस काव्यधारा की एक प्रमुख विशेषता है। सौंदर्य छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत की कविताओं का केंद्रबिंदु है, चाहे वह प्रकृति का सौंदर्य हो या फिर नारी का। वे मूलतः प्रकृति के कवि हैं, लेकिन उसके साथ-साथ उनकी कविताओं में नारी के विविध रूपों का भी चित्रण हुआ है। उनकी कविताओं में नारी केवल प्रेमिका नहीं है; वह देवी, माँ, सहचरी, प्राण सभी रूपों में चित्रित हुई है। प्रकृति के कवि होने के कारण पंत ने प्रकृति के बीच भी नारी के विविध रूपों का उद्घाटन किया है। उन्होंने नारी के प्रत्येक रूप को आत्मा के स्तर पर गहनता के साथ अनुभूत किया है। माँ के रूप में नारी उन्हें दिव्यस्वरूपा प्रतीत होती है, तो प्रेमिका के रूप में वे उसके सौंदर्य का लुत्फ उठाना भी जानते हैं। उनकी कविताओं में नारी के सौंदर्य का अत्यंत सूक्ष्म एवं श्लील चित्रण मिलता है। नारी के प्रति उनका दृष्टिकोण व्यापक एवं उदात्त है। एक ओर जहाँ उन्होंने नारी के सौंदर्य का बखान किया है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने उपेक्षित तथा तिरस्कृत नारी के प्रति सच्ची सहानुभूति भी व्यक्त की है।

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