6. कथाकार होमेन बरगोहाञि का ‘पिता-पुत्र’ : एक समीक्षात्मक अध्ययन ✍ संजीव मण्डल

‘पिता-पुत्र’ उपन्यास होमेन बरगोहाञि की प्रौढ़तम कृति है। इसमें पीढ़ी-संघर्ष, आभिजात्य का टूटना या शक्ति-केंद्र के स्थानांतरण, भ्रष्टाचार, नशाखोरी सभी कुछ चित्रित हुआ है। ‘पिता-पुत्र’ पिता शिवनाथ और उनके तीन पुत्र गौरीनाथ, कालिनाथ और लक्ष्मीनाथ की कहानी पर आधारित है। पीढ़ी-संघर्ष के तौर पर गौरीनाथ अपने पिता के आदेश के विपरीत अपनी कैवर्त जाति की प्रेमिका से विवाह करता है। छोटा पुत्र लक्ष्मीनाथ शराबी, जुआरी बनकर शिवनाथ और बाकी परिवारवालों पर मानसिक और शारीरिक अत्याचार करता है। कालिनाथ अपने पिता का सहारा बनने के लिए अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर गुवाहाटी से महॅघूलि आ जाता है। कालिनाथ महॅघूलि से शराब और अफीम का गोरखधंधा खत्म करने का बहुत प्रयास करता है। इसी प्रयास में वह चुनाव लड़कर विधायक और मंत्री भी बन जाता है। उपन्यास में जाति-भेद प्रथा पर भी चोट की गई है। कैवर्त गाँव के लोगों के साथ तथाकथित ऊँची जाति के लोगों का भेदभाव भी उपन्यास में चित्रित हुआ है। परम्पराओं के टूटने और महॅघूलि में एक परम्परा मुक्त नये समाज के अस्तित्व में आने की कहानी भी कहता है यह उपन्यास।

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