4. भूपेन हाजरिका के गीतों में असमीया लोकजीवन ✍ उदिप्त तालुकदार

कलाकार द्वारा किया गया सृजन उनके विचारों की स्वच्छंद अभिव्यंजना है। अंतर्मन से निःसृत ये विचार समाज-सापेक्ष हैं। युगचेता प्रत्येक कलाकार की सृष्टि में समाज एवं समाज के लोगों के जीवन का हर पहलू प्रस्फुटित होता है। इस प्रकार लोकजीवन को अपने गीतों के माध्यम से अभिव्यक्ति देनेवाले जातीय चेतना से प्रेरित विश्व संगीत-जगत का एक उज्ज्वलतम नक्षत्र हैं भूपेन हाजरिका। उन्होंने अपने गीतों में असमीया लोकजीवन के खान-पान, रहन-सहन की परंपरा, क्रियाकलाप, कला-कुशलता, हस्तशिल्प, लोकवाद्य, लोकविश्वास, त्योहार आदि तत्वों की एक पूर्णांग छवि खींचने की सफल कोशिश की है। भूपेन हाजरिका ने गीतों के माध्यम से लोकजीवन के इन पहलुओं को किस प्रकार अभिव्यंजित किया है, उसी का एक अवलोकन इस शोधालेख में किया गया है। 

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