4. ‘जहाँ बाँस फूलते हैं’ और ‘उफ़्फ़’ में चित्रित पूर्वोत्तर भारत का राजनीतिक जीवन *संजीव मण्डल

1958 ई. में मिजोरम में अकाल पड़ा था। भारत सरकार ने उस समय भूखे मिजो लोगों की राहत के लिए कुछ नहीं किया। इसके फलस्वरूप 1966 ई. में लालडेङा के नेतृत्व में मिजोरम में सरकार के विरुद्ध विद्रोह हो गया। मिजो नेशनल आर्मी का गठन हुआ और मिजो युवक मिजोरम को स्वतंत्र करने की लड़ाई में लग गये। ‘जहाँ बाँस फूलते हैं’ उपन्यास में इस मिजो नेशनल आर्मी के सदस्यों और फौज के बीच हुई मुठभेड़ों के साथ-साथ मिजो नेशनल आर्मी के सदस्यों को आत्मसमर्पण कराने के लिए कुछ सुरक्षा अधिकारियों के द्वारा किए गए प्रयासों का चित्रण हुआ है। साथ ही मिजोरम की समाज-व्यवस्था, संस्कृति, इतिहास के साथ ही विद्रोहियों के कठिन जीवन, प्रशासन की कमजोर नीतियों, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, फौज का अत्याचार, सरकार की चालबाजी, विद्रोह के दौरान के उपद्रव, विद्रोही संगठनों की विचारधाराओं का भी चित्रण हुआ है।

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