2. विद्यापति कृत ‘पदावली’ और शंकरदेव कृत ‘कीर्तन-घोषा’ में चित्रित भक्ति एवं शृंगार *बर्णाली बैश्य

विश्व साहित्य में भारतीय साहित्य का अन्यतम स्थान है। भारतीय साहित्य का भंडार अनेक महान साहित्यकारों के योगदान के परिणामस्वरूप समृद्ध हुआ है। इन्हीं लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकारों में विद्यापति और शंकरदेव क्रमशः हिंदी और असमीया साहित्य के दो अन्यतम हस्ताक्षर हैं। साहित्यिकत देन के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी विद्यापति और शंकरदेव की अन्यतम भूमिका रही है। विद्यापति हिंदी साहित्य के संक्रमण काल के कवि रहे, जबकि शंकरदेव असमीया वैष्णव-युग या भक्ति काल के। किंतु अपने-अपने क्षेत्रों में दोनों की ही प्रासंगिकता सजीव रूप में विद्यमान है।

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